कालचक्र - द सीक्रेट ऑफ टाइम
कालचक्र
Chapter - 1
Secret Of Time
वक्त, समय या काल ये विज्ञान की एक ऐसी अनसुलझी पहेली है जिसे सदियों से इंसानी दिमाग समझना चाहता है मगर फिर भी इंसान आज तक समयरूपी इस पहेली को नहीं सुलझा पाया है।बावजूद इसके, हर समय इस अचल ब्रम्हांड में मौजूद कोई न कोई इंसान समय की इस अनोखी पहेली को सुलझाने की कोशिश करता ही रहता है और कुछ लोग तोइस कोशिश में बहुत आगे निकल जाते हैं।ऐसे ही कुछ खास लोगों में शेखर भी था जो वक्त की पहेली को सुलझाने के काफी करीब पहुँच गया था।वह जून की तपती दोपहर थी और साल था 2020 और वह यानि कि शेखर, जो उस वक्त अपने मकान के निचले हिस्से में बने हुए एक छोटे से गैरेज में अपना कोई बेहद महत्वपूर्ण एक्सपेरिमेंट कर रहा था।वहाँ चारों तरफ सैकड़ों छोटे-बड़े मशीनी उपकरण बिखरे पड़े हुए थे और शेखर किसी लेजर प्रोजेक्टर जैसी डिवाइस पर काम कर रहा था।शेखर आईआईटी का स्टूडेंट रह चुका था और साथ ही वह फिजिक्स का काफी बड़ा जानकार था।पिछले कई सालों से हॉवर्ड जैसी युनिवर्सिटी में उसके रिसर्च पेपर्स वगैरह छपते आ रहे थे और हाल-फिलहाल वह जिस खास विषय पर काम कर रहा था वह था टाइम ट्रैवलिंग।शेखर लगातार पिछले ग्यारह सालों से टाइम ट्रैवलिंग पर ही रिसर्च कर रहा था और साथ ही वह टाइम मशीन बनाने की कोशिश भी कर रहा था।बहरहाल आज अपनी इस कोशिश में वह दूसरे वैज्ञानिकों से कहीं ज्यादा आगे निकल आया था।"आज मुझे इस डिवाइस पर काम करते हुए लगातार 124 दिन बीत चुके हैं और मैं खुद नहीं जानता कि इन पिछले 124 दिनों में मैं कितने घंटे सोया होऊँगा।"शेखर एक डिजिटल वॉइस रिकॉर्डिंग डिवाइस पर यह बोल रहा था और आदतन आज भी वह सबकुछ रिकॉर्ड कर रहा था।ताकि अगर इस एक्सपेरिमेंट में उसके साथ कुछ गड़बड़ हो और उसे कुछ हो जाए तो लोगों को यह पता हो कि उसके साथ आखिरकार हुआ क्या था।बोलने के साथ-साथ ही वह उस लेजर प्रोजेक्टर डिवाइस पर भी काम करता जा रहा था जो कि असल में एक टाइम मशीन था।"यह मशीन अब पूरी तरह तैयार है और आज मैं अपने इस एक्सपेरिमेंट का आखिरी चरण पूरा करने वाला हूँ यानि कि आज मैं खुद टाइम ट्रैवलिंग करने वाला हूँ।"शेखर उस मशीन पर काम करते हुए बोल रहा था और फिर उसने अपने उस टाइम प्रोजेक्टर की थोड़ी बहुत जाँच की जिससे संतुष्ट होने के बाद वह दोबारा उस वॉइस रिकार्डिंग डिवाइस की ओर मुड़ गया।"आज ये टाइम मशीन बनाना न सिर्फ मेरी जिद बल्कि मेरा जुनून बन चुका है और इसकी वजह है शनाया, शनाया जो मेरे साथ मेरे कॉलेज में पढ़ती थी।मैं और शनाया कॉलेज में काफी अच्छे दोस्त हुआ करते थे। मैं शनाया से बहुत प्यार करता था पर कहीं उसे यह सच्चाई बता कर मैं उसकी दोस्ती को भी न खो बैठूँ इसी डर से मैंनें उसे यह कभी नहीं बताया लेकिन एक दिन शराब के नशे में मैंनें उसके सामने सबकुछ बक दिया और अगले दिन उसने मुझ पर बहुत गुस्सा किया।पर अच्छी बात ये थी कि शनाया भी मुझसे प्यार करती थी और इस तरह हमारी ये छोटी सी लव स्टोरी शुरू हो गई।बहरहाल उस दिन 7 जुलाई 2009 को मैं बहुत ही खुश था क्योंकि मैं और शनाया हम दोनों उस दिन डेट पर जाने वाले थे और मैं खुशी-खुशी डेट पर जाने के लिए तैयार हो गया।पर जब मैं वहाँ उससे मिलने के लिए उस रेस्टोरेंट में पहुँचा जहाँ पर हम दोनों मिलने वाले थे तो ठीक उसी वक्त किसी ने उसे गोली मारकर उसकी हत्या कर दी।"कहते-कहते अचानक उसकी आँखों में आँसू आ गये और इसी के साथ आँसू की एक बूँद उस तस्वीर पर गिर गई जो इस वक्त उसके हाथों में मौजूद थी।वह तस्वीर जिसमें शेखर भी था जो आज की अपेक्षा काफी जवान और बेहतर दिख रहा था।उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई न होकर क्लीन शेव्ड थी और तस्वीर में उसने किसी बीच के पास एक लड़की को अपनी गोद में उठा रखा था जो बहुत ही खूबसूरत थी।वे दोनों उस तस्वीर में एक साथ काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे थे।"उस दिन से लेकर आज तक मैं इसी टाइम ट्रैवलिंग मशीन पर काम कर रहा हूँ ताकि वक्त में पीछे जाकर मैं उस हादसे को रोक दूँ और किसी तरह अपनी शनाया को मरने से बचा लूँ।इसके लिए मैंनें अपनी जिंदगी के ये ग्यारह साल सिर्फ और सिर्फ वक्त में पीछे जाने के इस तरीके को खोजने में ही खर्च कर दिए और आज वक्त में पीछे जाने का तरीका मेरे सामने मौजूद है।"इतना कहकर उसने अपने सामने रखे उस टाइम प्रोजेक्टर डिवाइस की ओर एक नजर डाली और फिर दोबारा बोलने लगा।"दुनिया के तमाम वैज्ञानिकों यहाँ तक कि सर आइंस्टीन का भी मानना है कि टाइम ट्रैवलिंग सम्भव है।बस इसके लिए हमें अपनी स्पीड को लाइट की स्पीड से भी ज्यादा तेज करना होगा।खैर मैंनें भी इस बारे में काफी कुछ सोंचा और फिर मैंने ये नतीजा निकाला कि सबसे पहले तो ऐसा करना नामुमकिन है और यदि फिर भी इसे किसी तरह संभव बना दिया जाए तो ऐसा करने पर वह इंसान ऊर्जा के रूप में बदल जाएगा और उसका इंसानी अस्तित्व ही मिट जाएगा और फिर उस ऊर्जा से दोबारा इंसानी रूप में वापस आना नामुमकिन हो जाएगा।इसीलिए मैंनें टाइम ट्रैवलिंग के लिए रिवर्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया।यानि कि मैंनें इन पिछले ग्यारह सालों में काफी मेहनत की और एक ऐसा डिवाइस तैयार किया जो हमारी गति को तेज करने के बजाय अपने आस-पास एक खास दायरे के भीतर समय की गति को धीमा कर देता है।जिसकी मदद से डिवाइस के आसपास एक वर्महोल क्रियेट हो जाता है और उस वर्महोल की मदद से हम अपनी समय धारा को चीर कर एक समय से दूसरे समय में जा सकते हैं और आज मैं यही करने वाला हूँ।मैं ठीक 7 जुलाई 2009 में जा रहा हूँ और फिर वहाँ मैं खुद से मिलकर खुद के ही भूतकाल रूप की सहायता से अपनी शनाया को बचा लूँगा।"इतना कहकर उसने उस ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस को भी बंद कर दिया और फिर आखिरकार वह अपने सामने रखे हुए उस टाइम मशीन की ओर मुड़ गया।शेखर ने उस लेजर प्रोजेक्टर जैसी चीज में कुछ सेटिंग्स की और फिर उसने उस मशीन में लगी घड़ी और अपनी घड़ी के वक्त को मिलाया जो सेकेंड दर सेकेंड एकसाथ बराबर चल रही थीं।इसके बाद उसने उस डिवाइस में 7 जुलाई 2009 का वक्त सेट किया और फिर इसके बाद उसने वह मशीन ऑन कर दिया।ऑन होते ही उस मशीन से हरे रंग की लाइट निकलने लगी और वह मशीन एक अजीब सी आवाज पैदा करने लगी।मशीन के ऑन होते ही उस कमरे में मानों कोई भूचाल सा आ गया और कमरे में मौजूद हर एक चीज थर-थर काँपने लगी।खैर लगभग कुछ ही सेकेंड्स बाद उसने देखा कि उस टाइम ट्रैवलिंग डिवाइस से एक हरी रोशनी निकली और इसी के साथ हवा में एक पोर्टल खुलता हुआ नजर आने लगा।उस पोर्टल का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था और फिर शेखर ने अपनी कलाई पर मौजूद एक डिवाइस को देखा।जिसमें सिर्फ एक लाल रंग का बटन मौजूद था और ये बटन वापस अपने समय में आने के लिए ही था।इधर पोर्टल वल अब इतना बड़ा हो चुका था कि एक इंसान आसानी से उसके पार जा सकता था और शेखर ने आखिरी बार कमरे में निगाह डाली और फिर वह उस पोर्टल में प्रवेश कर गया।पोर्टल में प्रवेश करते हुए उसे कुछ अजीब सा अनुभव हो रहा था और ऐसा लग रहा मानों वह किसी बर्फ की सिल्ली के बीचों-बीच से होकर गुजर रहा हो।एक पल के लिए उसकी आंखो में कोई रोशनी पड़ी और उसकी आँखें बंद हो गई।आँखें खुली तो उसने खुद को एक बड़े से घर में पाया जहाँ पर सबकुछ बेहद पुराना नजर आ रहा था और दीवार पर टँगे उस कैलेंडर के हिसाब से आज 7 जुलाई का दिन था।यानि वह दिन जब उसने शनाया को खो दिया था और फिर उसने वहीं कमरे में ही चारों ओर अपनी नजरें दौड़ाई।"इस वक्त घड़ी के हिसाब से सवा दस हो रहे हैं और मैं ठीक बारह बज कर पाँच मिनट पर शनाया से मिलने पहुँचा था।यानि कि इस वक्त मैं नहा रहा था और अब मैं बाहर आने ही वाला हूँ...!"शेखर के इतना बोलते-बोलते सामने बाथरूम का दरवाजा खुला और वो दरवाजा खुलते ही एक और शेखर वहाँ नजर आया जो दरअसल भूतकाल का शेखर था।"त... तुम?"भूतकाल का वह शेखर खुद को अपने सामने देखकर चौंका और फिर इस तरह चौंकने के साथ ही उसने पास ही में पड़ी हुई हॉकी स्टिक को उठा लिया।"त.... त... तुम कौन हो?"भूतकाल के शेखर ने उससे सवाल किया जो यह सोचकर घबरा गया था कि कहीं जाने-अनजाने वह खुद को ही न नुकसान पहुँचा बैठे।"र...रुको!"इससे पहले कि भूतकाल का वह डरा हुआ शेखर उस पर हमला करता उसने उसे रोक दिया।"मैं तुम्हारा ही रूप हूँ... भविष्य से।"उस दूसरे शेखर ने अपने भूतकाल से कहा जो बुरी तरह हैरान दिख रहा था।"भ... भविष्य??"भूतकाल वाले शेखर के होठों से चिंचियाहट भरी आवाज निकली।"हाँ तुम्हारा भविष्य... और मेरे यहाँ आने की वजह शनाया है।"शेखर ने जल्दी से अपने भूतकाल को बताया और शनाया का जिक्र आते ही भूतकाल का वह शेखर उसे गौर से देखने लगा।खैर इसके बाद उसने आराम से बैठकर अपने भूतकाल को सबकुछ बता दिया और यह सच जानकर कि कुछ ही देर मेंउसकी शनाया मरने वाली थी भूतकाल का वह शेखर बुरी तरह घबरा गया।"य... यानि मैं शनाया को बचाने के लिए वक्त में पीछे आया हूँ?"भूतकाल के शेखर ने चौंकते हुए उससे सवाल किया।"तुम नहीं मैं... और हाँ मैं शनाया को बचाने के लिए ही यहाँ आया हूँ और अब हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है हमें जल्द से जल्द वहाँ पहुँचना होगा।"शेखर ने अपने भूतकाल से कहा और उसकी बात सुनकर भूतकाल के शेखर ने जल्दी से कपड़े पहने और फिर वह अपने ही उस भविष्यकाल के रूप के साथ कार में बैठ कर उस रेस्टोरेंट में पहुँच गया।वहाँ उस रेस्टोरेंट में ज्यादा लोग नहीं थे और अब वो दोनों ही यह जानते थे कि शनाया कहाँ थी इसलिये वो एकसाथ शनाया को खोजते हुए उसके टेबल की ओर चल पड़े।भूतकाल का शेखर चारों ओर देखता हूआ आगे बढ़ रहा था जबकि दूसरे शेखर ने अपना चेहरा नकाब से ढ़ँक रखा था ताकि दोनों को एकसाथ देखकर शनाया या दूसरे लोगों का ध्यान उनकी ओर न खिंचा चला जाए।"कहाँ है वो?"भूतकाल वाले शेखर ने दूसरे शेखर से सवाल किया और उस दूसरे शेखर ने अपनी घड़ी की ओर देखा जिसमें ठीक बारह बज कर पाँच मिनट हो चुके थे यानि कि शनाया पर हमला होने में बस एक या दो मिनट का ही समय शेष था।"शेखर।"अचानक ही उन दोनों के कानों में किसी औरत की आवाज आई और उन दोनों की नजरें एक साथ उस रेस्टोरेंट के एक कोने में रखे टेबल के पास खड़ी शनाया पर पड़ी।जो भूतकाल वाले शेखर को आवाज दे रही थी और अपने भविष्य से अंजान शनाया इस वक्त काफी खुश नजर आ रही थी।"जाओ.... उसे यहाँ से ले जाओ.... जल्दी।"शेखर ने अपने भूतकाल के कानों में फुसफुसाकर यह कहा और भूतकाल का वो शेखर फौरन अपनी शनाया के पास पहुँच गया।"शनाया... चलो यहाँ से।"उसने जल्दबाजी में शनाया के पास पहुँच कर उससे कहा पर शेखर की बात सुनकर शनाया बुरी तरह चौंक गई।"पर क्यों आखिर बात...!"शनाया ने कुछ बोलने की कोशिश की मगर उसकी ये बात अधूरी ही रह गई और उसकी बात पूरी होती इससे पहले ही वहाँ उन दोनों से कुछ ही दूरी पर विपरीत दिशा में रेस्टोरेंट के ठीक बीचों-बीच एक पोर्टल खुलता हुआ नजर आया।सबकी नजरें उस पोर्टल की ओर मुड़ गईं यहाँ तक कि उस दूसरे शेखर की भी जो टाइम मशीन के जरिए यहाँ आया था।इधर उस पोर्टल को देखकर भूतकाल के शेखर और शनाया बुरी तरह हैरान थे और उधर टाइम मशीन से आया हुआ वह दूसरा शेखर भी अचानक उस पोर्टल को देखकर चौंक गया जो बिल्कुल हूबहू उसी टाइम पोर्टल जैसा था जिसके जरिए वह खुद यहाँ भूतकाल में आया था।बहरहाल इससे पहले कि उन तीनों में से किसी को कुछ भी समझ में आता उस नये पोर्टल से एक अजीबो-गरीब शख्स बाहर निकला जिसकी दाढ़ी और बाल दोनों बिल्कुल सफेद हो चुके थे।वह ठीक शेखर और शनाया के सामने खड़ा था और उसके चेहरे पर सूरज की सीधी रोशनी पड़ रही थी, जिस वजह से टाइम ट्रैवल करके आए शेखर को उसका चेहरा नहीं दिख रहा था और वहीं उस शख्स ने पोर्टल से निकलते ही अपने हाथ में मौजूद पिस्टल से भूतकाल के शेखर पर गोली चला दी।लेकिन दूसरा शेखर जानता था कि अब क्या होने वाला था और आखिरकार एकबार फिर वही हुआ जिसका उसे डर था।पोर्टल से निकले उस शख्स के गोली चलाते ही शनाया खुद शेखर के सामने आ गई और वह गोली जो शेखर पर चली थी शनाया के दिल को चीर गई।अगले ही पल शनाया उस भूतकाल वाले शेखर की बाहों में अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी जबकि दूसरा शेखर उस पोर्टल वाले शख्स की ओर दौड़ पड़ा और उसने उस पोर्टल से निकले शख्स पर हमला कर दिया।इस दौरान गोली चलने की वजह से वहाँ पहले ही भगदड़ मच गई थी और उसी भगदड़ के बीच दूसरे शेखर ने पोर्टल से निकले शख्स पर हमला कर दिया जो अब न जाने क्या सोचकर पीछे मुड़ गया था।खैर दूसरा शेखर उससे टकराया और वो दोनों एकसाथ वहीं रेस्टोरेंट के फर्श पर गिर पड़े।फर्श पर गिरते हुए उस दूसरे शेखर ने पोर्टल से निकले हुए शख्स का चेहरा देख लिया और उसका चेहरा देखकर वह खुद हैरान रह गया।क्योंकि वह शख्स कोई और नहीं बल्कि खुद शेखर ही था। वह यकीनन शेखर था लेकिन भविष्य का शेखर।शायद दूसरे शेखर के वर्तमान समय से बीस साल आगे का शेखर जो अब थोड़ा सा बूढ़ा भी हो चला था।बहरहाल इससे पहले कि वह दूसरा शेखर कुछ समझ पाता पोर्टल से निकला हुआ वह बूढ़ा शेखर उसी पोर्टल के जरिए वापस अपने समयकाल में भाग गया और उस दूसरे शेखर की नजर भूतकाल के शेखर पर पड़ी जो शनाया को अपनी बाहों में लिए हुए बुरी तरह सिसक रहा था।"शायद मैं गलत वक्त में आया हूँ... मुझे यहाँ आने के बजाए वहाँ भविष्य में जाना चाहिए ताकि अपने भविष्य को अपने ही हाथों से अपनी शनाया का कत्ल करने से रोक सकूँ।"यह सोचते हुए उस दूसरे शेखर ने वहीं फर्श पर पड़ी हुई वह पिस्टल उठाई जो शायद भागते हुए उस बूढ़े शेखर के हाथों से छूटकर यहीं गिर गई थी और पिस्टल के हाथ में आते ही उसने अपनी कलाई पर लगे हुए टाइम डिवाइस में मौजूद वह लाल बटन दबा दिया और फिर वह वापस उसी जगह पर पहुँच गया जहाँ से आया था।यानि कि ठीक उसी जगह जहाँ पर उसकी वह टाइम मशीन मौजूद थी।शेखर ने अपनी आँखें खोली तो अपने आप को उसी लैब में पाया जहाँ पर कुछ ही देर पहले उसने उस मशीन के जरिए भूतकाल की यात्रा की थी और अपनी गर्लफ्रेंड शनाया को बचाने में नाकामयाब रहा था।"ओफ्फ... इतना सबकुछ करने के बाद भी मैं उसे नहीं बचा पाया।""कहने के साथ ही उसने वहाँ रखे टेबल पर एक मुक्का जड़ दिया और फिर आँसू बहाने लगा।"श.... शायद मैं गलत वक्त पर था... मुझे शनाया को बचाने के बजाए अपने भविष्य को रोकना चाहिए... उसकी जान लेने से.... पर कैसे.... किस वक्त में जाकर?"शेखर ने मन ही मन सोचा जिसे इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि उस भविष्य के शेखर ने किस समय में वह पोर्टल बनाया था और फिर वह इस बारे में सोचने लगा।घंटो तक सोचने के बाद आखिरकार उसे एक खतरनाक सा आइडिया सूझ गया।"क्यों न मैं भविष्य में जाकर अपना वो टाइम मशीन ही चुरा लूँ.... जिससे मेरे भविष्य के पास न वह टाइम मशीन होगा और न ही वह टाइम ट्रैवल करके भूतकाल में जा पाएगा।"शेखर ने मन ही मन ये सोचा और एक बार फिर अपने उस टाइम मशीन से छेड़छाड़ करने लगा।आखिरकार कुछ मिनटों के बाद वह एक बार फिर से टाइम ट्रैवल करने के लिए तैयार था पर इस बार भूतकाल की नहीं बल्कि भविष्यकाल की यात्रा करने के लिए और फिर उसने उस टाइम प्रोजेक्टर में अपने हिसाब से कोई समय चुनकर उसे ऑन कर दिया।देखते ही देखते एक बार फिर से वह टाइम पोर्टल खुल गया और शेखर उसमें प्रवेश कर गया।इस बार भी उसे बर्फ की सिल्ली के बीच से गुजरने जैसा ही एहसास हुआ और फिर एक तेज चकाचौंध कर देने वाली रोशनी की वजह से उसकी आँखें बंद हो गईं।आँखें खोलने पर उसने खुद को भविष्यकाल के अपने ही मकान में मौजूद पाया जहाँ का दृश्य काफी बदल चुका था।चारों ओर हाईली एडवांस्ड चीजें नजर आ रही थीं पर उन चीजों की ओर ज्यादा ध्यान न देते हुए वह सीधा अपनी लैब की ओर बढ़ गया जहाँ वह अपना टाइम ट्रैवलिंग डिवाइस रखता था।वह चुपचाप घुप्प अंधेरे में लैब की ओर बढ़ रहा था ताकि किसी तरह की आहट न हो क्योंकि उसे यकीन था कि इस समय उसका भविष्यकाल अपने बेडरूम में गहरी नींद में सो रहा होगा।खैर लैब में पहुँचकर उसने देखा तो पाया कि वहाँ और भी काफी सारी अजीबो-गरीब पर आधुनिक चीजें पड़ी हुई थीं जो तकनीकी रूप से काफी उन्नत थीं लेकिन उन चीजों पर ध्यान न देते हुए उसने बस वह टाइम प्रोजेक्टर डिवाइस ले लिया और साथ ही उसने वहाँ मौजूद किसी कागज का एक टुकड़ा भी उठाकर अपनी जेब में रख लिया।जिस पर कोई बेहद अजीबो-गरीब फॉर्मूला लिखा हुआ था पर न जाने क्या सोचकर उसने वह फॉर्मूला ले लिया और फिर टाइम प्रोजेक्टर लेकर वहाँ उस कमरे से बाहर निकल गया।बाहर निकलते ही अचानक वहाँ की सारी लाइट्स ऑन हो गईं और उसकी नजर ठीक सामने खड़े दो लोगों पर पड़ी जिनमें से एक तो खुद शेखर ही था।यानि उसका खुद का भविष्य जिसे देखकर शेखर हैरान रह गया क्योंकि वह काफी हद तक उस पोर्टल से निकले शेखर जैसा ही लग रहा था।"त... तुम?"शेखर अपने भविष्यकाल वाले रूप को देखकर चौंक गया जबकि उसके साथ खड़ी महिला भी उसे देखकर हैरान थी और उन दोनों की ही तरह भविष्य का बूढ़ा शेखर भी घोर आश्चर्य में पड़ गया था।"म... मेरी डिवाइस... तुम उसे कहाँ ले जा रहे हो?"भविष्यकाल के शेखर ने उस दूसरे शेखर से कहा जो अब भी उसी टाइम प्रोजेक्टर को लिए हुए था और फिर इससे पहले कि वह कुछ बोलता उस भविष्य के शेखर ने अपनेही भूतकाल वाले रूप पर हमला कर दिया।वे दोनों आपस में भिड़ गये और उनके हाथों से वह टाइम प्रोजेक्टर भी छूटकर वहीं फर्श पर गिर गया था।इधर भविष्यकाल का शेखर अपने ही भूतकाल को पीटे जा रहा था और फिर अचानक उस भूतकाल वाले शेखर ने उसे धक्का दे दिया जिससे वह भविष्यकाल का शेखर दूर जा गिरा।बहरहाल इससे पहले कि भविष्यकाल का वह शेखर फिर से अपने भूतकाल पर हमला करता उस भूतकाल के शेखर ने वह पिस्टल निकाली जो उसने उस रेस्टोरेंट से उठाया था और यह सोचकर अपने ही भविष्यकाल पर गोली चला दी कि भविष्यकाल के मरते ही भूतकाल में उसकी शनाया बच जाएगी।गोली चली पर इससे पहले कि वह गोली उस भविष्यकाल के शेखर को लगती वहाँ पर खड़ी महिला जो यह सबकुछ देखकर बुरी तरह हैरान थी शेखर को बचाने के लिए उसके आगे आ गई और वह गोली जो भविष्य के शेखर पर चली थी उस महिला के दिल के पार हो गई।कुछ ही सेकेंड्स बाद वह महिला भविष्यकाल के शेखर की बाहों में दम तोड़ रही थी।यह दृश्य देखकर भूतकाल का शेखर जो यहाँ पर वह टाइम प्रोजेक्टर चुराने आया था हैरान रह गया क्योंकि वह महिला कोई और नहीं बल्कि खुद शनाया ही थी और इसी के साथ अब उसकी नजर अपनी उस घड़ी के समय की ओर गई जो उसने अपनी कलाई पर बाँध रखा था।घड़ी में बारह बज कर सात मिनट हो रहे थे यानि कि ठीक वही समय जब भूतकाल में शनाया पर गोली चली थी।भविष्यकाल का शेखर शनाया को अपनी बाहों में लिए हुए बुरी तरह सिसक रहा था उस भूतकाल के शेखर को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।वह बस असमंजस में पड़ा हुआ नजर आ रहा था और फिर उसने वह पिस्टल वहीं गिरा दी और चुपचाप अपनी टाइम डिवाइस का वह लाल बटन दबा दिया जिससे एक बार फिर वह हवा में घुलने लगा।उसने आँखें खोली तो खुद को एक नर्म गद्देदार बिस्तर पर पड़ा हुआ पाया और चारों ओर देखने पर समझ में आया कि यह उसका खुद का कमरा था।उसे कुछ भी याद नहीं था और फिर वह उठा और उठने के साथ ही उसने खुद को एक आईने में देखा।आईने में देखते हुए उसकी नजर अपनी ही जेब से बाहर निकल रहे किसी कागज के टुकड़े पर पड़ी।शेखर ने वह कागज का टुकड़ा निकाला और उसे बड़े गौर से देखा जिसमें समय यात्रा से जुड़ा कोई बेहद पेचीदा सा फॉर्मूला लिखा हुआ था और अब उसके दिमाग में बस एक ही बात गूँज रही थी।"म... मुझे शनाया को बचाना होगा... मुझे एक टाइम मशीन बनानी होगी।"To Be Continued...
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Manish Pandey 'Rudra'
shweta soni
30-Jul-2022 08:02 PM
Bahot achhi rachna 👌
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सिया पंडित
29-Jan-2022 12:22 AM
Behad khubsurat kahani likhi h
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Manish Pandey 'Rudra'
01-Feb-2022 12:47 PM
Thanks 🙃 🙃
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रतन कुमार
18-Dec-2021 05:50 PM
शानदार कहानी
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